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Sameer Faridi

Romance

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Sameer Faridi

Romance

बहुत कुछ बाकी है।

बहुत कुछ बाकी है।

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अभी अपनों का हर कर्ज़ चुकाना बाकी है,

उसकी महफ़िल से उठकर जाना बाकी है।


कितने जिए, कितने गुज़ारे,कितने गवां दिए,

जिंदगी के पन्नो पर निशान लगाना बाकी है।


हर लम्हां, हर दिन तेरी यादों में बिताए बैठे हैं,

हाथों में लेकर हाथ, एक शाम बिताना बाकी है।


दिल-ए-कारवाँ सौ जिम्मेदारियाँ लेकर जीता है,

पर तन्हाईयों का तेरी अभी बोझ उठाना बाकी है।


दिल चिड़िया बुनता रहता है तिनको का मकाँ,

जिसकी बस्ती में एक,तूफान भी आना बाकी है।


मयखानों की गलियों से, अक्सर गुजरा तन्हाई में,

तेरी यादों की लहरों में, एक ज़ाम लगाना बाकी है।



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