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Bhawna Kukreti

Abstract

4.6  

Bhawna Kukreti

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भरपूर जीना

भरपूर जीना

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उम्र को

झुठलाती ये 

नये जमाने की

खुदमुख्तार औरतें ,

जीती है खुद मे 

कई उम्र की लड़कियां 

ये जीना चाहती हैं

अपनी तरह से हर उम्र की उमंग ।


ये चहकती कूदती हैं

टापती हैं सीढियां 

अनगिनत चुनौतीयों की,

और खिंचाती है

गौरवान्वित करती तस्वीरें

कई असंभव मुकामों पर।


ये औरतें

कहती हैं सच अपने मन का,

रखती हैं जमाने मे बुलंद

अपनी आन और बान 

बनाते हुए अपनी पहचान ।


नापनां और पाना चाहती है

उनका अपना ,अपनो के सपनो का

हर वो आसमान जो ह

ै छूट गया हैं पीछे

समाज द्वारा निर्धारित,पारिवारिक,सामाजिक

स्त्रियोचित कर्तव्य निभाते ।



एक आंख मे ख्वाब 

दूजी मे घर संसार लिये 

समय के साथ आंख मिचौली खेलते 

जब पा लेती हैं, दिखा देती हैं

दुनिया को अपना सामर्थ्य

लौट आती है नीड़ मे,

अपने प्रेम सिंचित संसार मे

अपने अद्भुत अनुभवों के साथ ।


ये नए जमाने की

खुदमुख्तार औरतें

कभी नहीं भूलती उड़ान भरना

ठहरती नही , रहती है तैयार

हर गंभीर व्यंग की आवाज पर

और भी ऊंची परवाज के लिये,

एक नए आसमान को नापनें के लिए।


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