भ्रमजाल
भ्रमजाल
कभी पतझड़ से, बहारों से
गर्मी से भी, और जाड़ो से
पुछूं जब नाम तेरा
तो वो कहते है, नही पता।
तरबतर फ़िज़ा से, ठंडी शीतल बयारों से
सूरज से भी, और तारों से
पूछुं जब नाम तेरा,
तो वो कहते है, नही पता।
आबाद गगन से, बीहड़ बंजारों से,
उस रब से भी, और सब दरबारों से
पूछुं जब नाम तेरा
तो वो कहते है, नही पता।
हर रोज़ जगा, हर रोज़ थका
ऐसे ना हमको, ऐ ख़्वाब सता
सच, है तेरा कोई नाम पता
या तू कोई भ्रमजाल बता।