किसी से न कहो
किसी से न कहो
अपने दुखों को तुम किसी से न कहो
हो सके जितना अकेले ही सहो
क्योंकि, सुनने तक ही सब साथ है
पलट कर करते अक्सर विश्वास घात है
दर्द न सह सको तो देर तलक रोते रहो
पर अपने दुखों को तुम किसी से न कहो।
अपने दुखों को तुम किसी से न कहो
हो सके जितना अकेले ही सहो
क्योंकि, सुनने तक ही सब साथ है
पलट कर करते अक्सर विश्वास घात है
दर्द न सह सको तो देर तलक रोते रहो
पर अपने दुखों को तुम किसी से न कहो।