भोर की गुड़िया
भोर की गुड़िया
बोली चिड़िया
उठ गई
भोर की गुड़िया
लाली लगाई
सूर्योदय की
बाली पहनी
किरणों की
सुंदर दुल्हन
बन गई
भोर की गुड़िया
पीहर छोड़ रही है
पिया घर जा रही है
सुनहरी धूप के
आभूषण पहने
पिया की अब
हो गई है गुड़िया
शाम होते-होते
धुँधली रोशनी से
बीमार हो रही है
भोर की गुड़िया
अब आई है रात
खत्म हो गई है,
भोर की बात
मृत्यु के आंचल में,
अब सो रही है,
भोर की गुड़िया
पर उसे उम्मीद है
फ़िर से
पिया मिलन होगा,
इसी आशा के साथ,
आँखें मूंद रही है,
भोर की गुड़िया
