Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Vivek Netan

Tragedy

5.0  

Vivek Netan

Tragedy

भेड़िए और हिरणी

भेड़िए और हिरणी

1 min
378


वो कोई जंगल या कोई सुनसान गली ना थी 

भीड़ का मंजर था और वो भी अकेली ना थी 

भीड़ से ही निकला था इक झुंड भेड़ियों का 

उनके लिए वो शिकार थी कोई लड़की ना थी 


भागी वो इधर से उधर किसी हिरणी की तरह 

मगर चक्रव्यूह से भागने की कोई जगह ना थी 

हुई तो थी थोड़ी बहुत उस भीड़ में हलचल 

मगर वो इंसान थे जिनमे इन्सानियत ना थी 


चिल्लाती रही, भेड़िये ले गए उठा कर उसे 

बहरों की भीड़ ने उसकी आवाज़ सुनी ना थी 

सब ने सोचा छोड़ो हमें क्या इस झंझट से 

प्यारी तो थी मगर वो किसी की सगी ना थी 


फेंक गए वो उसे उसकी आत्मा को नोच कर 

पूरे शहर में इक अजब सी बेचैनी क्यों थी 

गूंगा बहरा था जो शहर कल भेड़ियों के सामने 

आज नारे लगे खूब मगर खून में रवानी ना थी 


सुना है के परसों लटक जायेगी वो पेड़ से

सब को लगता है की वो ही तो बेहया थी 

अगर बनाने ही थी ऐ ख़ुदा भड़िये तुझ को 

तो रहम करता ये मासूम हिरणियाँ बनानी न थी 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy