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S Ram Verma

Abstract

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S Ram Verma

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भाव निरक्षर !

भाव निरक्षर !

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माना कि भाव निरक्षर होते हैं

पर अक्षरों को वो ही साक्षर करते हैं  


भावों के अंतरदृग जो देख पाते हैं

वो ये आखर कभी नहीं देख पाते हैं

 

भाव देख पाते हैं सुन भी पाते हैं

पर विडम्बना तो देखो बोल नहीं पाते हैं


अक्षर लिखते भी है दिखते भी हैं

पर भावों की तरह महसूस कहा पाते हैं

 

मन की अक्षर जब साक्षर हो जाते हैं

तो वो मान प्रतिष्ठा और पद पाते हैं


पर भाव शुद्ध होकर भी ये सब कहा पा पाते हैं  

हाँ वो विशुद्ध हो कर ईश को जरूर पा लेते हैं !   


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