STORYMIRROR

Ramchander Swami

Tragedy

3  

Ramchander Swami

Tragedy

भारतीय संस्कार

भारतीय संस्कार

1 min
151

संभल जा ए लालची इंसान

मत खेल तू प्रकृति के अंगारों से।

ए इंसा..प्रकृति संग संतुलन रख,

यहाँ छल न कर प्रकृति की बहारों से।

बुरा अंजाम होगा ए लोभी प्राणी,

अगर टकराओगे आसमां की दीवारों से।

बेहतर होगा ए इंसा तुम्हारे लिए,

बात प्रकृति की समझो जरा इशारों से।

प्रकृति की गोद में खेल, मनु बने तुम,

कुछ सीखो भारतीय प्राचीन संस्कारों से।

प्रकृति संग हिल मिल मानव बन,

सृष्टि से खिलवाड़ कर,

जिंदगी नहीं मिलती नवाचारों से।

ए प्राणी प्रकृति ही पालक, प्रकृति ही संहारक,

अभी समय है हाथ मिला प्रकृति के जयकारों से।

"कोरोना "महामारी प्राकृतिक आपदा है,

अभी संभल जा मत खेल अहंकार के गुब्बारों से ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy