भारत प्यारा देश हमारा...
भारत प्यारा देश हमारा...
भारत प्यारा देश हमारा
इस पर बलि -बलि जायेंगे
इसकी पावन रज में खेले
इसमें ही मिल जायेंगे
उषा की किरणें करती हैं
सबसे पहले इसका वंदन
रजनी में मुस्कुराता सुधाकर
चंद्रिका से करता अभिनंदन
इस मनोहर रूप को कभी नहीं बिसरायेंगे
इसकी पावन रज में खेले
इसमें ही मिल जायेंगे
गोधूलि की पावन बेला में
अस्ताचल को जाता जब दिनकर
अपने श्रम के स्वेद कणों को पोंछ
लौटता घर को हलधर
यही स्वेद कण फसलों के दानों में मुसकुरायेंगे
इसकी पावन रज में खेले
इसमें ही मिल जायेंगे
तेरे खेतों की हरियाली
जन-जन को देती खुशहाली
तेरी पावन रज की हरदम
करती जमुन-गंगधार रखवाली
तेरी रज के कण-कण को पावन तीर्थ बनायेंगे
इसकी पावन रज में खेले
इसमें ही मिल जायेंगे
फागुण तेरा रंग बरसाये
दीवाली दीपों का संंगम
ईद-मिलन तेेरे घर-घर में
बैसाखी के ढोल ढमाढम
झूम-झूम तेरा हर पर्व हम मनायेंगे
इसकी पावन रज में खेले
इसमें ही मिल जायेंगे....।
