तुमने हर इन्द्र धनुषी रंग दिए मेरी पतझड़ सी ज़िंदगी को बसंत से। तुमने हर इन्द्र धनुषी रंग दिए मेरी पतझड़ सी ज़िंदगी को बसंत से।
इस दुनिया को निशीथ की बेला लगती है अपनी गहन तमस में खुल जाती है जैसे पाँखें सबकी सांझ ढले घर जान... इस दुनिया को निशीथ की बेला लगती है अपनी गहन तमस में खुल जाती है जैसे पाँखें सबक...
तेरे खेतों की हरियाली जन-जन को देती खुशहाली तेरे खेतों की हरियाली जन-जन को देती खुशहाली