कलरव करते पक्षी, नीड़ों की ओर बढ़ चले। कलरव करते पक्षी, नीड़ों की ओर बढ़ चले।
सूर्य अस्ताचल की ओर चला, रश्मियां सिंदूरी हो चली। सूर्य अस्ताचल की ओर चला, रश्मियां सिंदूरी हो चली।
अपनी प्रेयसी वसुंधा के इसी भार का वरण हरने ही तो आसमां क्षितिज-आकार में नीचे झुक आता अपनी प्रेयसी वसुंधा के इसी भार का वरण हरने ही तो आसमां क्षितिज-आकार में नीच...
इस दुनिया को निशीथ की बेला लगती है अपनी गहन तमस में खुल जाती है जैसे पाँखें सबकी सांझ ढले घर जान... इस दुनिया को निशीथ की बेला लगती है अपनी गहन तमस में खुल जाती है जैसे पाँखें सबक...
गुंजन भौरे सृंगार करे पुष्प के नाच मयूर अंगीकार वर्षा के मदमस्त हवा के प्रवाह ने देखो कैसा उत्साह... गुंजन भौरे सृंगार करे पुष्प के नाच मयूर अंगीकार वर्षा के मदमस्त हवा के प्रवाह ...