संध्या सुंदरी
संध्या सुंदरी
सूर्य अस्ताचल की ओर चला,
रश्मियां सिंदूरी हो चली।
पक्षी लौट रहे हैं अपने घोसलों की ओर,
गो धूलि की मधुरम बेला हो चली।
थके मादे लोग लौट पड़े अपने घर की ओर,
संध्या होने वाली है।।
सूर्य अस्ताचल की ओर चला,
रश्मियां सिंदूरी हो चली।
पक्षी लौट रहे हैं अपने घोसलों की ओर,
गो धूलि की मधुरम बेला हो चली।
थके मादे लोग लौट पड़े अपने घर की ओर,
संध्या होने वाली है।।