"सांझ"
"सांझ"
सूर्य अस्ताचल की ओर चला,
सुनहरी रश्मियां बिखेरता।
धीरे-धीरे आ रहा है अंधेरा,
धरती को घेरता।
कलरव करते पक्षी,
नीड़ों की ओर बढ़ चले।
गोधूलि उड़ रही,
सांझ लागी भले।
थका मांदा आदमी,
अब लौट चला घर को।
घुप्प अंधेरा छा गया,
घेरा गांव, घर शहर को।।
