भारत मां का लाड़ला
भारत मां का लाड़ला
इसके दृढ़ संकल्प के आगे, हारे पर्वत का भी हौसला।
इसके होते हुए कभी, भारत को छू न सके कोई बला।
चंचल पवन-सी मस्ती लेकर, है एक नया रंगरूप चला।
रहे रूखी-सूखी रोटी बस याद, खाये न भुना, न तला।
सामने ऐसे अदम्य साहस के, शत्रु का हर षड्यंत्र टला।
यूं देख दिलेरी जवान की, विपक्षी खेमे का दिल जला।
थक गई मुश्किल, टूटा गुरूर, गिरा शोषण का किला।
हर कपट, हर घाव का उत्तर, आज हर शत्रु को मिला।
अंतिम श्वास तक रणभूमि में, किया डटकर मुकाबला।
देख सामने काल भी, पराक्रमी सैनिक तनिक न हिला।
इस बलिदान से भर गया होगा, स्वयं प्रकृति का गला।
निडर बने रहने की सीख, देता भारत मां का लाड़ला।
कभी आरोप लगाए खुलकर, कभी तो लांछन है मला।
कूटनीति ने तो पग-पग पर, यूं चोरी से किया है हमला।
कई प्रयासों पर भी, किसी मन में न बुरा ख़याल पला।
यहां तो हर सैनिक के पीछे-पीछे, यह पूरा देश है चला।
