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Er. HIMANSHU BADONI 'DAYANIDHI'

Inspirational

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Er. HIMANSHU BADONI 'DAYANIDHI'

Inspirational

भारतीय जनतंत्र

भारतीय जनतंत्र

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लाल किले की प्राचीर से, ये भव्य गणतंत्र दिखायी दे।

वीर-योद्धाओं का संघर्ष, इस अखंडता की गवाही दे।

बापू की लाठी, सिंह का साहस, आज़ाद की खुद्दारी।

इन तीन बातों का लोहा, आज भी माने दुनिया सारी।


तन था लोहा व मन था मोती, लिया अंग्रेज़ों से पंगा।

इनके कांधे पे रखकर, ऊंचा उठ गया हमारा तिरंगा।

बेबाक पटेल, सरल शास्त्री व मंगल-सावरकर त्याग।

सदा इसने ही जलाए रखी, स्वराज की अमिट आग।


शासक, मंत्री, योद्धा, वक्ता, कई विश्वगुरु विद्वान हुए।

इस माटी ने जिसे जना, वे तो कुंदन-रूपी इंसान हुए।

कैसे भूलें हम रानी का रण कौशल, राणा की चुनौती।

शिवाजी का स्वराज्य स्वप्न, सिख गुरु-वाणी के मोती।


विभूतियों के कारण जग में कहाया, यह देश महान। 

पूर्ण स्वतंत्रता है सदा, भारतीय जनतंत्र की पहचान।


मत के सौंदर्य की भव्यता से बने, ये अपना गणतंत्र।

प्रजा का महत्त्व है इसमें, ये तभी कहलाता प्रजातंत्र।

एक हुई थी भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की तिगड़ी।

जिनके सतत प्रयासों से, अंग्रेज़ों की हर बात बिगड़ी।


गांधी, नेहरू, तिलक, गोखले, सुभाष और भीमराव।

इन सब ने ही पलट दिया था, क्रूर शासन का हर दाव।

निर्भीक रानी, राणा, शिवाजी, संभाजी, तात्या टोपे।

इनके पग न रोक सकीं तलवारें, गोलियां, बम, तोपें।


भारत की लोक प्रणाली का, विश्व में प्रसिद्ध नाम है।

विधान, कार्य, न्याय-पालिका, इसके बहुआयाम हैं।

यहां हर जन अपना नेतृत्व, मताधिकार से चुनता है। 

मत की पुकार ये सत्ताधारी, बहुत ध्यान से सुनता है।


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