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भारत देश

भारत देश

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निन्दा करूँ या फिर क्या करूँ

रास्तों पर चलती नारियों को भद्दी- भद्दी गालियाँ चलती है,

दुकानों और गलियों में गन्दी नज़रों की चिन्गारियाँ जलती है,

यह भारत देश है या कहने का देश भारत है।


हैवानियत उनकी नज़रों में जिनकी गन्दी नज़रों से सत्ता न्यारी है,

भारत की गौरव नारी है या फिर यह कहने की बात सारी है,

सरकार चलाओ अपनी अब खुद की एक ज़िम्मेदारी है,

यह भारत देश है या कहने का देश भारत है।


निकाल फेंको उन दरिंदों को जो हवस के पुजारी हैं,

नेता में तो बस कुर्सी की मारा मारी है,

जाति, धर्म और आरक्षण की लड़ाई भारी है,

यह भारत देश है या कहने का देश भारत है।


मंदिर, मस्जिद, चर्च, बाहर और घर में भी सुरक्षित नहीं नारी है,

भारत पुरुष प्रधान देश या फिर नारी शोषण देश होने की बारी है,

माँ, बहन, बेटी, पत्नि और सभी रिश्तों पर सियासत भारी है,

यह भारत देश है या कहने का देश भारत है।


बलात्कार को बढ़ावा देना यही भारत के सरकार की तैयारी है,

अपराध को बचाने की हर साज़िश में उतरे इनका आन्दोलन जारी है,

पढ़े-लिखे युवा तो युवा

बूढों बुज़ुर्गो का भी अत्याचार भारी है,

यह भारत देश है या कहने का देश भारत है।


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