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Shyam Kunvar Bharti

Abstract

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Shyam Kunvar Bharti

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भारत भाग्य जगाओ

भारत भाग्य जगाओ

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जागो हे महाकाल हे महादेव हे हरिहरनाथ तुम

करो दंडित दानवों देशद्रोहियों हे भूतनाथ तुम

विपदा भारी भारत आज अब आन पड़ी है

खंडित करने राष्ट्र दानव सेना चल पड़ी है


जाती धर्म मज़हब की आग देश लगाते है

देश विरोधी आज़ादी आवाज़ सब लगाते है

दो सद्बुद्धि सद्द्विचार देशप्रेम हे शम्भूनाथ तुम

भारत भाल टीका काला लगने कभी न पाये

साजिश सियासत भारत जलने कभी न पाये


भोली भाली जनता कानों जहर ये भरते है

चौक चौराहों दंगा फसाद अपने भाई मरते है

करो तांडव दुश्मनों देश अब हे औघड़नाथ तुम   

हे कृपालु दयालु हे जटाधारी हे त्रिपुरारी

खोलो त्रिनेत्र करो भस्म चढ़ो नंदी सवारी


डम डम डमरू बजाओ चमचम त्रिशूल चमकाओ

मौका पा के दुश्मन न घुस आए भुजंग उसे डसवाओ

हे जटाधारी भस्मधारी जागो अब हे गौरीनाथ तुम

जटा खोल गंगा बहाओ पापियो पाप मिटाओ

हर हर गंगा हरहर महादेव भारत भाग्य जगाओ


काँपे थर थर दुश्मन भूत बैताल छोड़ो

बाल न बांका हो भारत बला मुख मोड़ो

हे कैलासपति उमापति हे रमापति नीलकंठनाथ तुम

भ्रष्ट नेताओं मति तुम फेरो घुसपैठीयों चहुं तुम घेरो

लड़वाना मरवाना बहकाना बंद करे कुबुद्धि तुम जारो


बने भारत महान विश्व की शान शंकर तुम को प्रणाम

आदि अनादी शिव अमर तेरी कथा गाउ तेरा गुणगान

हे त्रिलोकी नाथ दो भारती भक्त साथ हे अमरनाथ तुम

विश्व विजयी बने भारत जय हो तेरी गौरा प्राण नाथ तुम



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