भाग गई वो भीषण ठंड
भाग गई वो भीषण ठंड
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
इस भीषण ठंड में ,
काँप रहे देखो कैसे ,
मेरे तन और मन।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
बाहर शीत लहर की ,
मची हाहाकारी ....
अंदर कामुकता की तैयारी।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
तेरे अधरों से ये गर्मी लेगा ,
फिर बाहों में झूल ,
तपन की राह तकेगा।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
आज कितने दिनो बाद ,
ये नहा कर आया ....
तेरी तपन से दिल ललचाया।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
तेरी गर्म रजाई ,
इसे बड़ी सुहाई ,
बार - बार प्रणय की करे दुहाई।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
तेरा साथ मिला ,
गर्म एहसास मिला ,
घुल- मिल गया ये तेरे संग।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।
तेरी गर्मी पाकर ,
ये मदहोश हुआ ,
भाग गई वो भीषण ठंड।
तेरी गर्मी पाने को ,
लो फिर खिंचा आया ,
मेरा ये कोमल तन।।

