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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

भाग गई वो भीषण ठंड

भाग गई वो भीषण ठंड

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तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


इस भीषण ठंड में ,

काँप रहे देखो कैसे ,

मेरे तन और मन।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


बाहर शीत लहर की ,

मची हाहाकारी ....

अंदर कामुकता की तैयारी।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


तेरे अधरों से ये गर्मी लेगा ,

फिर बाहों में झूल ,

तपन की राह तकेगा।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


आज कितने दिनो बाद ,

ये नहा कर आया ....

तेरी तपन से दिल ललचाया।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


तेरी गर्म रजाई ,

इसे बड़ी सुहाई ,

बार - बार प्रणय की करे दुहाई।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


तेरा साथ मिला ,

गर्म एहसास मिला ,

घुल- मिल गया ये तेरे संग।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।


तेरी गर्मी पाकर ,

ये मदहोश हुआ ,

भाग गई वो भीषण ठंड।


तेरी गर्मी पाने को ,

लो फिर खिंचा आया ,

मेरा ये कोमल तन।।


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