बेवजह
बेवजह
मालूम था, कि धोखा मिलेगा
मगर फिर भी ऐतबार किया
जानते थे कि तुम राज़दार नही,
मगर फिर भी इज़हार किया
दगाबाज़ होगे, अंदाज़ा था
मगर वो हद आज जानी
दिल में तुम्हरे लिए सिर्फ दुआ थी
फिर क्यों इन आँखों से निकला पानी
बात जिगरी यारी की थी
तुम खुद ही यारी तोड़ गए
गलती थी , तो बताओ
क्यों बीच रास्ते छोड़ गए
तुमने मुँह मोड़ा था
बिना बताए वो वजह
किसी और को मिल गयी
जो कभी थी हमारी जगह।
