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manisha sinha

Romance

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manisha sinha

Romance

बेवजह

बेवजह

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अपने दिल से तेरे दिल का 

मैं रास्ता ढूँढता रहा।

और तुम हर बार ,हर मोड़ पर

मुझे राह भुलाए जा रहे हो।


हर बार ही तेरे कदमों संग 

क़दम मिलाता आया हूँ।

इस बार जो पीछे रह गया 

क्यों हाथ छुड़ा बढ़े जा रहे हो।


तेरे नाम से ही आबाद थी 

दिल की ये मेरी दुनिया।

क्यों नाम मिटा खुद का इसे

वीराना करते जा रहे हो।


जब भूला ही दिया तूने मुझे

अब क्या हासिल करने आए हो।

मेरी जान लेकर जाने क्यों 

जनाज़े पर रोने आए हो।


दिल को मेरे तोड़कर भी 

सुकून ना तुम्हें मिल पाया है।

तभी तो मेरे जिस्म को 

खाख में मिलता देखने आए हो।


रो लो चाहे तुम जितना भी 

ना लौटकर हूँ आनेवाला ।

जाने तुम क्यों तन्हाई में 

अब मुझे पुकारते जा रहे हो।


बहुत राहत सी मिल रही है

मुझे दूर उस जहां में।

लेकिन तुम मुझे क्यों याद कर अब 

बेवजह तड़पते जा रहे हो।


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