बेटी
बेटी
मई की कड़कड़ाती गर्मी में तुम आई थी ,
घनघोर बरसात लेकर।
मेरे जीवन के कुछ सूने कोनों पर,
हरियाली की सौगात लेकर।
किसी बात की कमी सी थी जीवन में,
तुम आई थी वो बात लेकर।
जो दिन कि दुपहरी की तपन मिटादे,
तुम आई थी वो रात लेकर।
इतनी मासूमियत, इतनी चुलबुलाहट,
इतनी शरारतें, तुम आई अपने साथ लेकर।
जन्मों जन्मों तक जो ना टूटे,
आई हो वो नात लेकर।
मेरी मां के जैसे,
प्यारे प्यारे हाथ लेकर।
मैंने हारना नहीं चाहा किसी से,
तो तुम आई मेरी मात लेकर।
सब जातों में सबसे ऊंची,
है एक मा की जात
तुम आई थी मेरे लिए वो जात लेकर।