जुगनू
जुगनू
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अंधेरे का ताज है जुगनू
लोगो का नाज है जुगनू
घने अंघरे में इसी भरोसे
चलते थे राहगीर सभी
सुंदर सितारों सा उड़ते
हर क्षण चारो और ये दिखते
पर अब तो ये भी भेट चढ़ रहे
प्रदूषण की मार झेल रहे
जुगनू अब नज़र न आए
कुछ दिनों में खतम न हो जाए
अभी भी है वक्त यारो
इन सभी को हम बचा ले
प्रदूषण को करना है कम
वरना हो जायेंगे हम भी कम।
