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Pradeepta Yadu

Others

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Pradeepta Yadu

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पाक कला

पाक कला

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कौन कहता है तुम्हें है जरूरत चित्रकारी की।

कभी कुछ पका के देख लेना 

दिख जाएंगे तुम्हें कुदरत के हसीन रंग।


की किस तरह तड़का देते हुए जब भूरे जीरे को

गाढ़े पीले तेल में डाला जाता है

तो किस तरह वो सोंधी सोंधी खुशबू लेकर गाढ़ा भूरा हो जाता है।

फिर जब उसमें डालते हैं हरी मिर्च और सफेद लहसुन।

और देखते हैं किस तरह से सफेद लहसुन भूरी हो जाती है।

फिर डाली जाती है सफेद प्याज,

और देखते हैं उसे एक भीनी खुशबू के साथ भूरा होते हुए।


कैसे दाल बनाते हुए तुम डाली जाती है पीली दाल,

पीली हल्दी, पारदर्शी पानी, और लाल टमाटर।

और जब सीटी खुलती है तो कैसे दाल और हल्दी

अपना पीलापन पानी में घोल के सम्पूर्ण पीलापन ला देते हैं।

और कैसे टमाटर बिखर के अपनी लालिमा बिखेर देता है।

कभी देखा है कितना सुंदर लगता है।


कभी देखा है कैसे जब पीले मक्के को गैस पे रखा जाता है 

तो वो तड़ तड़ से आवाज़ करते हुए काला हो जाता है।


चित्र को तुम केवल देख सकते हो।

पर भोजन को तो तुम देख, सुन, सूंघ, खा सब सकते हो।

मुझे तो चित्रकला पे भारी लगती है पाक कला।


और जिस कला से किसी भूखे का पेट भर सके।

किसी की दिन भर की थकान मिट सके।

किसी की जान बच सके।

किसी का इलाज हो सके।

किसी का मन बहल सके।

किसी की आवभगत हो सके।

कहीं कोई पुल बंध सके।

उससे ऊंची कला और क्या होगी।


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