नारी
नारी
क्या है नारी?
वह सिर्फ सीता नहीं।
वो दुर्गा भी है।
चंडी भी है।
वह सिर्फ लक्ष्मी नहीं।
सरस्वती भी है।
वह सिर्फ सृजनकर्ता नहीं,
संहारकर्ता भी है।
वह सिर्फ कोमल नहीं,
आदिशक्ति का स्वरूप भी है।
वह सिर्फ क्षमा नहीं,
वह भीषण क्रोध भी है।
वह सिर्फ सहनशीलता नहीं।
वह विरोध भी है।
वह सिर्फ गृहलक्षमी नहीं,
वह कामकाजी भी है।
वह सिर्फ पृथ्वी नहीं,
वह आकाश भी है।
वह सिर्फ सौन्दर्य नहीं,
वह सफलता भी है।
वह सिर्फ लज्जा नहीं,
वह स्वतंत्रता भी है।
नारी सिर्फ त्याग नहीं,
वह अपराजिता भी है।
नारी एक अधूरा छंद नहीं,
वह सम्पूर्ण कविता भी है।
