कलियों के रंगों में चटकूँगी......... कलियों के रंगों में चटकूँगी.........
क्या जिंदगी में ऐसा नहीं ? जीने ,कुछ करने की , कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा पर फिर बंध जाते हैं... क्या जिंदगी में ऐसा नहीं ? जीने ,कुछ करने की , कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा ...
ये कैसी जिजीविषा है, ये कैसा शोर है, अंतर्मन में उठी कैसी हिलौरे है...! ये कैसी जिजीविषा है, ये कैसा शोर है, अंतर्मन में उठी कैसी हिलौरे है...!
क्या यह तुम्हरा कोई बदला है जीवन के घटित होने से या है यह बदला तुम्हारा अपने आप से। क्या यह तुम्हरा कोई बदला है जीवन के घटित होने से या है यह बदला तुम्हारा अ...
कहानी के किरदार उसकी अंतरात्मा. कहानी के किरदार उसकी अंतरात्मा.
और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को। और सो जाती है धरती में बीज बन कर पुनः प्रस्फुटित हो, उत्सव मानने को।