बेटा और बेटी एक जैसे ...
बेटा और बेटी एक जैसे ...
दोनों है जब एक ही डाली के फूल,
मत करो इनमें फर्क करने की भूल।
बेटा गर है आपके घर का चिराग तो,
बेटियां घर की रौनक, मत जाओ भूल।
बुढ़ापे में जब होंगे मां बाप कमज़ोर,
तो बेटी देती सहारा, बेटा जाता सब भूल।
मौत के बाद बेटा देगा मुक्ति औ मोक्ष,
ऐसी पिछड़ी सोच को तुम भी जाओ भूल।
मोक्ष औ मुक्ति अपने सुकर्मों से मिलती है,
ये थोथे कर्मकांडों को बेटा शायद जाये भूल।
बेटियां आज बेटों से बिल्कुल कम नहीं,
बल्कि उनसे बढ़कर है, क्यों जाते हो भूल ?
बेटियों को बेटों के बराबर हक और इज्जत दो,
बेटियों के सुख औ खुशी में आपके सुख का मूल।