Anuj Singh
Tragedy
तुझसे बेरुखी तो कभी थी ही नहीं,
बस तेरा यूं जाना गवारा ना रहा।।
संघर्ष
सतत जीवन
बेरुखी
एहसास
प्यार के रंग ...
मां बाबा
एक प्यारी सी ...
लोगों ने समझाया था छोटे कपड़े मत पहनना, रात को देर से घर मत आना, कहीं नौकरी मत करना, लोगों ने समझाया था छोटे कपड़े मत पहनना, रात को देर से घर मत आना, कहीं नौकरी ...
दिखानी होगी समझदारी सभी को, दोस्तों, हमारी लापरवाही से ही यह पनपता है। दिखानी होगी समझदारी सभी को, दोस्तों, हमारी लापरवाही से ही यह पनपता है।
और पूछ बैठती हूँ अब कई बार खुद से क्या यही मानवता की जीत है ? और पूछ बैठती हूँ अब कई बार खुद से क्या यही मानवता की जीत है ?
हमारे क़िस्मत में तो सिर्फ़ मेहनत ही लिखा है क्यू कि हमारे नाम पे मजबूर मज़दूर लिखा। हमारे क़िस्मत में तो सिर्फ़ मेहनत ही लिखा है क्यू कि हमारे नाम पे मजबूर मज़द...
वक्त ने कब अलग किया कब मिलवा दिया हमें इसका पता ही ना चला।। वक्त ने कब अलग किया कब मिलवा दिया हमें इसका पता ही ना चला।।
बेवफा हो जाएँ जब सांस मेरी धोखा दें चाहता हूँ कि तू मिसाल ए वफादार रहे। बेवफा हो जाएँ जब सांस मेरी धोखा दें चाहता हूँ कि तू मिसाल ए वफादार रहे।
बाल भी बांका ना होगा पर पाक साफ़ हो जायेगा उरी हमले के बाद लिखी गई मेरी एक कविता। बाल भी बांका ना होगा पर पाक साफ़ हो जायेगा उरी हमले के बाद लिखी गई मेरी एक कव...
एक के बदले मैं सौ मारूंगा ” पोंछा है आंसू फिर माँ भी ये बोली एक के बदले मैं सौ मारूंगा ” पोंछा है आंसू फिर माँ भी ये बोली
सन इक्कीस को इक्कीस में भी मानवता कोरोना के कहर से कर रही चीत्कार।। सन इक्कीस को इक्कीस में भी मानवता कोरोना के कहर से कर रही चीत्कार।।
इस जीवन को समझ ले जो वो भव सागर से निकलता है।। इस जीवन को समझ ले जो वो भव सागर से निकलता है।।
चारों तरफ अजीब सा सन्नाटा छाया है सब पर ना जाने क्यों करोना का अज़ाब आया है। चारों तरफ अजीब सा सन्नाटा छाया है सब पर ना जाने क्यों करोना का अज़ाब आया है।
पकवान न सही पर पर वो अपनी भूख तो मिटा पाता। पकवान न सही पर पर वो अपनी भूख तो मिटा पाता।
दुःख की, बस हर व्यक्ति नयनों में आँसू भर लाएगा। दुःख की, बस हर व्यक्ति नयनों में आँसू भर लाएगा।
हराएँ हम स्वस्थ हैं हम स्वस्थ होंगे हम कोरोना से जल्द ही मुक्ति पाए। हराएँ हम स्वस्थ हैं हम स्वस्थ होंगे हम कोरोना से जल्द ही मुक्ति पाए।
इन मजदूरों की भी अजब कहानी है भाइयों बिना अधूरा हर हिंदुस्तानी है। इन मजदूरों की भी अजब कहानी है भाइयों बिना अधूरा हर हिंदुस्तानी है।
ये भेद कैसे कर पाते हो कोई मुझे बताये की ये धर्म क्या है ? ये भेद कैसे कर पाते हो कोई मुझे बताये की ये धर्म क्या है ?
इसलिए तो लिखती हूँ कि जनता की जिम्मेदारी ना तेरी है ना मेरी है। इसलिए तो लिखती हूँ कि जनता की जिम्मेदारी ना तेरी है ना मेरी है।
ऐसे तंत्र को बदलो, फिर कोई औऱ व्यक्ति न मरे। ऐसे तंत्र को बदलो, फिर कोई औऱ व्यक्ति न मरे।
वहाँ जाकर सारे उत्पाती बच्चों के टिफ़िन खा लिए। वहाँ जाकर सारे उत्पाती बच्चों के टिफ़िन खा लिए।
तो वो कितना कुछ ठीक करने क कोशिश करता वो चाय के साथ बॉब डिलन का गाना सुनने लगा। तो वो कितना कुछ ठीक करने क कोशिश करता वो चाय के साथ बॉब डिलन का गाना सुनने लग...