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Anuj Singh

Inspirational

4  

Anuj Singh

Inspirational

संघर्ष

संघर्ष

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कितने मौसम आकर बदल गए

कितने बसंत आकर चले गए,

जो सूखी मन की धरती एक बार

फिर न खिली इस पर कभी बहार,

किए लाखो जतन हमने

पर काम न आया कोई,

हार कर हमने फिर बहलाया इस मन को

यथार्थ संसार का फिर दिखलाया इस मन को,

है जो जीवन तो संघर्ष भी है साथ

फूल है राहों में तो कांटे भी हैं पास,

जो बढ़ सके तो आगे निकल

जो ठहर गया तो रह जाएगा कल,

क्यों बांधे है खुद को बंधनों में

क्यों जकड़े हैं खुद को दुखों में

ये तो क्षणभर की है पीड़ा

जो जाएगी गुजर।।।।


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