बेपनाह मुहब्बत करके....
बेपनाह मुहब्बत करके....
लाक डाउन से घबरा रहे,
किसी दिन गली से उसकी गुजर क्यूँ नहीं जाते,
एक तरफा ही रहना है क्या,
किसी दिन सामने उसके नजर क्यूँ नहीं आते,
रह रह कर डरते हो,
इज़हार करके ही अच्छे से डर क्यूँ नहीं जाते,
भला ये भी कोई जीना है,
बेपनाह मोहब्बत करके मर क्यूँ नहीं जाते,

