सच्चाई कुछ और है....!
सच्चाई कुछ और है....!
आंकडे़ कुछ और है, सच्चाई कुछ और है,
काया कुछ और है, उसकी परछांई कुछ और है,
दिल दे देकर थक चुके हम भी,
मुहब्बत कुछ और है, गहराई कुछ और है,
रुको थोड़ा तुम भी देख लो,
कैसे कट रही यहाँ ज़िन्दगियाँ,
कि धोखा कुछ और है, बेवफ़ाई कुछ और है,
घर आबाद करने को घर छोड़ा,
अब आबाद घर में आने को तरस रहे,
कौन जिम्मेदार ! सरकार मीडिया जनता या कोई और
फिर भी तो दुख के बादल बरस रहे,
कुछ तो माजरा है यारों,
लॉक डाउन कुछ और है, कड़ाई कुछ और है !
