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Akansha Rupa chachra

Romance

4.3  

Akansha Rupa chachra

Romance

बेपनाह इश्क

बेपनाह इश्क

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275



रूह की गहराइयों मे तुझे संभाला हमने

हाथ मे ओस को बूंदो सा महसूस किया

नाजुक रेशम सा तू अनमोल इतना

तेरे इश्क की खुशबू को जह्नन मे

उतारा हमने इस कदर कि हम 

जमाने भर की उलफतो से दूर हो गए

तेरे बिना जीने की कल्पना ना की थी

एक पल अब बंजर मरू की तपन मे

जलने लगे हम

लम्हा लम्हा तेरा दूर जाना

बात बात पर नाराजगी के  

दर्द -सितम सह रहे है हम

आस इतनी है तुम लौट कर आओगे।

मेरे अहसास को शायद 

समझ पाओगे........

रूह मे उतर कर कैसे

दिल से उतार सकते हो

उम्मीद है तुम एक दिन

जरूर लौट आओगे.......

सच्चे दोस्त दिल दुखाया नही करते।

दिल मे रहने वाले नक्षत्र चुभाया नही करते।

उम्मीद करते है।

महक प्यार की जिदगी भर मुझ पर 

बिखरते जाओगे।

जान बन कर मौत की तड़प जुदाई वाली।

कभी न देकर जाओगे।

तुम लौट आओगे।।


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