बेपनाह चाह
बेपनाह चाह
बहुत चाह जताते हैं वो हमसे
हमारे हर दुःख को अपना बना लेते हैं
और हमारी ख़ुशी में झूम उठते हैं
हमारी खुशियाँ जैसे बस उनकी खुशी
और हमारा गम जैसे उनका गम
हमारी पसंद को वो अपनी बना लेते हैं ,
कोई कैसे न चाहे ऐसे शख्स को ?
जो खुद से भी ज्यादा हमारा ख्याल रखते हैं
और उससे भी बढ़कर हमसे मोहब्बत करते हैं
और सबसे एहम हमारी बहुत इज़्ज़त करते हैं ,
हमारे होंठो से कभी मुस्कान जाने ही नही देते
हर दुआ में हमारी खुशी मांगते हैं
हमें अपनी लक्ष्मी मानते हैं ,
अब क्या कहें उनकी तारीफ में हम ?
बस दुआ है हमारी रब हर ख़ुशी दे उन्हें ,
बेपनाह चाह जो रखते हैं वो हमसे !