बेनाम रिश्ते
बेनाम रिश्ते
नहीं कोई बाँधे डोर,
खींच ले फिर भी अपनी ओर,
पाकीजगी का एहसास रखें
दिल जुड़े इस छोर से उस छोर।
दूर होकर भी रहे पास,
लगे कोई अपना खास,
नहीं कोई वादा रहे मगर,
मन बाँधे लेकर विश्वास।
कभी अँधेरे में प्रकाश बनें,
कभी प्रकाश की आस बनें,
कभी निराशा के गहरे तम में
मन में एक विश्वास बनें।
कभी दर्द की वजह दें,
कभी खुशी दे बेवजह,
कभी इनके होने से,
हो जाये हम सरल सहज।
रिश्ता ऐसा जिसे कोई नाम न दें,
बेनाम होकर भी अपना मान दें,
रूह से जुड़े होकर सदा ही,
यह हमें सदा ही सम्मान दें।
दोस्त कहूँ या कहूँ साथी,
जैसे गर्मी के तपन में बारिश की
ठंडी ठंडी बूँदें आती।
या फिर कोई शीतल हवा का
आये पुरवा झोंका
मन में एक अनोखेपन का
एहसास होता।
या फिर कड़कड़ाती ठंड में,
गर्मी की तपन का एहसास अनोखा।
दुनिया इसका नाम ढूँढे,
पर बेनाम ही सही कुछ रिश्ते
दिल के बेहद करीब होते।