बेहद
बेहद
अभी अधूरी है मगर मुकम्मल होने की आस रखता हूं
मैं तुझसे बेहद मोहब्बत का आगाज करता हूं।
ख्वाबों की हकीकत पर बेशक सवाल रखता हूं
मैं तुझे फिर भी पाने कि उम्मीद हर बार रखता हूं।
ना हौसला कम है ना इरादों में तुझसे बेवाफाई की साज़िश है
मैं शबो - रोज़ तुझे पाने की चाहत में
खुदको इबादत में मसरुफ रखता हूं।