मर्द के भीगे बदन की भी ,
एक अलग ही बात होती है ,
जब चिपके हुए कपड़ों की ,
सरे~ए~आम नुमाईश होती है |
अक्सर औरत का बदन ,
रहता है निगाह की ताक में ,
मगर मर्द पर भी टिक जाती ,
कितनी निगाहें साथ में |
उसकी चौड़ी छाती जब ,
दिखती है झीने से वस्त्र में ,
हजारों हसीनायें मर जाती ,
लेकर शस्त्र हस्त में |
कोई चाहती उसे घायल करना ,
अपने नैनों के तीरों से ,
कोई चाहती ले आये पसीना ,
जब चिपके उसके बदन से |
ये बदन का नशा बड़ा नशीला ,
लिखा है कई शास्त्रों में भी ,
इसकी आग में हर कोई जलता ,
जब तक प्यास हो आँखों में भी |
वासना की आग को अक्सर ,
स्त्री - पुरुष मिल कर बुझाते ,
तभी तो उनके रुप निखरकर ,
सोने से ज्यादा खरे हो जाते ||