खामोशियाँ
खामोशियाँ
यूँ ही चल रहे थे किसी सवाल में,
बिन सोचे समझे किसी सवाल में,
उलझने घूम रही थी हज़ार मन में,
जवाब हर पहलू का लगें थे हम ढूंढने,
और देखिये क्या तन्हाई का आलम है,
की आस पास बस उसी का एहसास है,
कुछ सोच कर हम भी यूँ ही मुस्कुरा दिए,
जिसे देख कर 'सांझ' भी मुस्कुरा दिए हमारे लिए,
यह कैसे रंग बरसे थे जीवन में,
की कुदरत खुद ही गुम है इस सदमे में,
क्या दौर हे चला देखो अब,
भीड़ में भी अकेले रहते हैं अब,
चेहरे पर रहती है मुस्कराहट हर पल,
दिल में लाख तूफ़ान मचा रहे हों चाहे हलचल,
क्या है ऐसा जादू जो धीरे से दिल को छू गया इस तरह,
शायद यही उसका एहसास है जो हर तरफ और हर जगह,
क्या यही है वो नया दौर जिसका था इंतज़ार,
क्या यही है वो समां जिसका था इंतज़ार,
ऐसा लगता है की हर कदम पर वो ही है आस पास,
दिल की हर धड़कन में है उसकी मौजूदगी का एहसास.

