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Anju Sabharwal

Romance

3  

Anju Sabharwal

Romance

लम्हे

लम्हे

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क्या लम्हा ही अब सब कुछ है?? 

मोहब्बत भी एक लम्हा ही तो है, 

और रंज भी एक लम्हा ही सही, 

क्या लम्हे की अहमियत इतनी सी ही, 

और जो लम्हा अब है ही नहीं, 

क्या उसका कोई वजूद ही नहीं, 

लम्हों में उलझ कर रह गयी बस ज़िंदगी, 

क्या यही है मोहब्बत की इबादत और बन्दगी, 

क्यूँ कभी पहले ना समझे हम लम्हों को, 

समेट लें या फिर जाने दें बीते लम्हों को??


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