होली बलम जी वाली
होली बलम जी वाली
बङी प्यारी लगे यह होली
संंग बलम जी
जन्मों केेे जो हैं हमजोली,
भर रंंग की झोली
तत्पर तैयार रंगने को
छिप कर हम करे ठिठोली।।
रंंग रंग से सजे बलम जी
तंंग करने को तैयार बलम जी
सालियों की तभी झलक मिली
उन संंग हुल्ल्ङ की ललक जगी
पर घिर गए मतवाले
सालों की भीङ में
उनमे थी रंगने को उनको
अद्भूत ईक सनक सजी।।
अंंग अंंग गए सब रंग
कुुुुर्ते पायजामा की बारी आई संग संग,
पल मेें चिथङे बदन पर लटके
दृृृृश्य मनोरम भर मन में तरंग
कर रहा हृृदय को दंग,
अवाक रह बिन बोले कोई बोली
मना ली उन्होंने कुर्ता फाङ होली।।
अब जब मेरी बारी आई
बलम जी रंंगीले रंग से गीले
सामने सजे खङे मैं शर्माई
वह मग्न थोङी दया न दिखाई
सरोबार रंंग से कर दिया
इस होली मैंने बलम जी
के रंंग खुद को रंग लिया।।