✨'बदलाव'✨
✨'बदलाव'✨
यह कैसा जमाना आया ?
कभी पिता का डर होता था,
अब,अपनी संतानों ने डराया।
खान-पान बदला पहनावा बदल गया।
ईमान,धरम डोले,देखा न जायें नजारा।
संयुक्त परिवार टूटे, अपनों से अपने छूटे।
सूने महल अहारी,सूखे है बेल-बूटे।
शहर में जाने की इस तरह होड़ लागी।
सब गांव हुयें सूने,शहरों में भीड़ लागी।
रीते से पड़े हैं,सब ताल और तलैया।
जो ठेठ गांव के थे,अब शहरी हुये भैया।
गांव की पाठशाला का बुरा हाल हो गया।
कितना सुहाना बचपन जाने कहां खो गया।