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निखिल कुमार अंजान

Classics

3  

निखिल कुमार अंजान

Classics

बड़ी बात है

बड़ी बात है

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माता-पिता का होना या फिर 

खुद का माता-पिता हो जाना

दोनों ही बड़ी बात है

पलते पलते फिर एक दिन

खुद का पालक हो जाना

सही में बड़ी बात है।


कल तक तो हम खुद गोद में थे

आज अपने अंश को गोद में उठाना

बेहद सुखद एहसास है

माँ की गर्भावस्था पिता की रातों की नींद

यूँ ही नहीं बन जाते माता-पिता।


महसूस हो रहा है अब जीवन में

हो रहा है जब ये सीन

बड़ी गजब वाली बात है

बचपन की जिद पूरी करना

कितना कठिन था।


अब समझ आ रहा है जब

अपना बच्चा नखरे दिखा रहा है

सच मे बेहद बड़ी बात है

माता पिता हो जाना फिर 

माता पिता हो बालक में खो जाना।


उसके भविष्य के लिए जीवन खपाना

अब बालक का माता पिता हो जाना

माता पिता के प्रति जो कर्तव्य है

उससे विमुख हो जाना ये कौन सी साध है

बेहद ही गलत बात है।


माता पिता बनकर माता पिता का

तिरस्कार करना क्या तुम्हें भाता है

जिसकी छत्रछाया में पला बढ़ा उसको ही

वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाना 

क्या यह सही बात है।


ग्लानि नहीं आती याद उनकी नहीं सताती

माता पिता बनकर माता पिता से 

प्रीत निभानी नहीं आती

वाह इंसान तेरी भी क्या जात है।


दिखावे की होड़ में 

कभी फॉदर डे मनाता है 

कभी मदर डे मनाता है

फिर साल भर के लिए भूल जाता है

तुझे यह अपराधबोध नहीं सताता है।


ऐसा कर भला क्या तू अच्छी संतान

या फिर अच्छा माता पिता बन पाता है।


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