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बचपन

बचपन

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निश्छल मुस्कान

न कोई गुमान

नाराज़गी के दो पल

आज में जीना

भूल के गुज़रा कल


फ़ितरत बेपरवाह

कल की न कोई परवाह

बचपन के फ़ायदे हज़ार

मग़र दिन है चार


चुस्त फुर्तीला तन

गीली मिट्टी सा मन

जैसे चाहे इन्हें गढ़ लो

चेहरे पे सब पढ़ लो


छोटे छोटे ख़्वाबों से

सजी इनकी दुनिया

छोटी छोटी बातों में 

बड़ी बड़ी खुशियाँ


मन के सच्चे

दिल के अच्छे

मासूम बच्चे !


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