STORYMIRROR

Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

3  

Mukesh Kumar Modi

Abstract Inspirational

बचकर तू निकलना

बचकर तू निकलना

1 min
278

सभी के लिए मत खोलो तुम अपने मन का द्वार

पहले परख लो क्या है सामने वाले का किरदार


फितरत जाने बिना अगर किसी को अपनाओगे

आज नहीं तो कल तुम उससे धोखा ही खाओगे


इतना गहरा जख्म तुम्हारे दिल को देकर जाएगा

बीत जाएंगे बरस लेकिन वो घाव भर ना पाएगा


पछतावे के आंसू तुम्हारे नयनों से बरसते जाएंगे

खाया जिनसे धोखा वो तुझ पर ही हंसते जाएंगे


स्वार्थ समाया हो जिसमें उन रिश्तों को ठुकराना

भ्रम जाल युक्त खुशी के पीछे समय नहीं गंवाना


काम नहीं ये तेरा ऐसी बरबादी के पथ पर चलना

पूरा ख़बरदार रहकर इनसे बचकर तू निकलना



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Abstract