बच्चों का बचपन
बच्चों का बचपन
बचपन उनका खेल मस्ती में बीतने दो,
मत करो उन्हें उससे वंचित,
बच्चो की शैतानियों से क्यों होते हो चिंतित,
बच्चों की गलतियों पर उनको टोको,
पर उनको न बांधों घर की चारदिवारी में,
खेलने दो मिट्टी में गिरने दो आंगन में,
जब गिरेंगे बार बार तभी तो संभलना सीखेंगे,
मत डालो आदत उनमें ऐशो आराम की,
सिखाओ उनको अभी से मेहनत करना,
क्योंकि जो तुम अभी उनसे कहोगे,
वो वैसा ही जीवन में दोहराएंगे,
खेलकूद की आदतों से करोगे उनको वंचित,
तो रह जाएंगे ये शारीरिक रूप से कमजोर,
न इनमें ऊर्जा का संचार होगा,
न इच्छाशक्ति का विस्तार होगा,
बच्चों को जिस माहौल में ढालोगे,
वो उस माहौल में ढल जाएंगे,
इसलिए वहीं शिक्षा का बीज रोपो,
जिससे वो अपना जीवन संवारे।