महंगी शिक्षा
महंगी शिक्षा


हम मनुष्य हैं जिज्ञासु प्राणी
करना चाहते कुछ आविष्कार
जन्म से ही मिलता हमें
पैदाइशी शिक्षा का अधिकार
घर परिवार और रिश्तेदार
सिखाते रहते कुछ न कुछ पर
गुरुकुल में कई शिक्षकों से
मिलता हमें उचित संस्कार
उसी ज्ञान से फिर करते हम
जीवन में अपना विस्तार
मगर, हाय अफसोस कि अब
बड़ी महंगी है ये शिक्षा सरकार
एक बच्चे की शिक्षा में ही आज
अपनी सारी कमाई कम पड़ जाती
महंगी किताबें, महंगी फ़ीस
मां बाप की हालत खराब कर जाती
रा
त दिन बाप मेहनत कर कर के
पाई पाई जोड़ते रहता लेकिन
बच्चे को लगता है या कि जैसे
पिता उससे प्यार नहीं करता
यही बच्चा पढ़ लिख कर फिर
अपनी राह है चल देता
माँ पिता को भूल कर सिर्फ
पैसे कमाने में लग जाता
कैसा कुचक्र कलयुगी शिक्षा का
माया से जब शिक्षा मिलेगी
आत्मिक, भौतिक, आध्यात्मिक
सुख कहां से फिर दे पाएगी
वक़्त की ज़रूरत है कि शिक्षा को
सहज, सरल, सस्ती, अविलम्ब करें
संस्कारों को प्राथमिकता दे सब और
वृद्धाश्रमों का चलन बंद करें ।।