मेरे अंदर का भारत
मेरे अंदर का भारत
लड़की हूँ फिर भी सुदृढ़ बुनियाद पर है,
मेरे सपनों की इमारत.
विदेशों की मिट्टी में भी कायम है,
मेरे अंदर का भारत।
आधुनिकता में लिपटी हूँ,
पर की है संस्कारों की हिफाज़त,
डगर नई रही हो हरदम,
पर मंज़िल को दे रक्खी है हिदायत,
होंगे सब देश भले,
पर आज भी जीवन्त है,
मेरे अंदर का भारत।
ज़माना है फेसबुक और इंस्टा का,
सोशल मीडिया की रहती है इनायत,
प्रयोग में आते है मेरे भी,
पर ले दे कर ढूंढती हूँ,
सब में भारत की झलक,
हृदय में मशाल की तरह रहा है सदैव,
मेरे अंदर का भारत।