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Ratna Pandey

Inspirational

5.0  

Ratna Pandey

Inspirational

उम्मीद का दामन थाम ले तू

उम्मीद का दामन थाम ले तू

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थक गया मैं हताश ज़िंदगी से,

अंधकार ही लगता था,

सूरज की भी तेज़ रौशनी में,

वक्त रेत की तरह हाथों से फिसल रहा था।


लम्हा लम्हा गर्त में मैं गिर रहा था,

यूँ ही व्यर्थ जीवन गुजर जायेगा,

मनुष्य जन्म लेकर भी हासिल,

कुछ ना हो पायेगा।


एक निराशा मन को कौंध रही थी,

एक आशा का दीप दिख जाये,

नज़रें उसे ही खोज रही थीं।


तभी द्वार किसी ने खटखटाया,

मैं अवचेतना से चेतना की तरफ आया,

एक उम्मीद बाहर खड़े मुझे पुकार रही थी।


बहुत दम है तेरी भुजाओं में,

छोड़ निराशा आशा का दामन थाम ले तू,

निराशा जकड लेगी जंज़ीरों में तुझे,

तोड़ कर जंज़ीर आशा के संग,

ऊँची उड़ान भर ले तू।


नवाजा है मनुष्य योनि से तुझे भगवान ने,

कर नेक काम भगवान का यह क़र्ज़ उतार दे तू,

उम्मीद का दामन थाम ले तू,

सबल विचारों में स्वयं को बांध ले तू।


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