#आज फिर खामोश हो गयी हूँ_
#आज फिर खामोश हो गयी हूँ_
आज मैं फिर खामोश हो गई हूँ....
क्या हो रहा दुनिया में...देख सुनकर होश खो रही हूँ...!!!!
विश्वास तो हर कदम साथ का था...
फिर... कैसे ज़िन्दगी इतनी सस्ती हो गई...!!!!
समझ नहीं आ रहा कि...वो कौन से शब्द हैं....??
जो उन हैवानों को समझ आयेंगे....
पता नहीं कब तक मासूम बेटियों को....
कभी नोचेंगे...कभी टुकड़ों में बाँट आयेंगे...!!!!
फिर सोचा जो आत्मा से हारे हैं ...वो शब्दों को क्या समझेंगे...????
इसलिए बेटियों! दिल की बात मानो……
टुकड़ों में बँटने की जगह....
जिनके दिल के टुकड़े हो उनकी भावनाओं को समझो…..!!!!!
जो भटका है...वो कभी नहीं सुधरेगा...
नज़रें उठाओ ...अपने आप को गिरी हुई नज़रों से बचाओ ...!!!!
बेटों...तुम भी अपनी सोच बदलो…
जो तुम गलत राह जाओगे…
तो अपने मां-बाप अपनी बहन को क्या मुंह दिखाओगे...
जब जुर्म तुम्हारा है तब तुम्हें ही धिक्कारेगा
जब तुम उनको किस्सों की जमीं पर....
हिस्सों में बँटा पाओगे...!!!!
बात जब इक माँ-बाप की आह से ..
दूजे माँ-बाप की आह तक पहुँचेगी..
तब शर्म से तुम खुद...टुकड़ों में बँट जाओगे ….!!!!
आज जोर से चिल्लाना व समझाना चाहती हूँ....
समझो…..समझो…समझो…और बस समझो….!!!!
