नयी सोच नया आयाम
नयी सोच नया आयाम


नयी सोच के साथ बेटी विदा हो रही है...ताकि एक पुरानी बुराई दहेज प्रथा को रोक सके....
शादी के बाद जब विदाई की घड़ी आई...
तो बेटी नयी सी पहेली ले आयी...!!!!
कि पापा इस डायरी में आप व माँ अपने हस्ताक्षर कर दो....
चौंक कर सबने इक-दूजे से नजरे मिलायी...!!!!
बेटी बोली कि मैंने आज स्कूल जैसे ही इक डायरी बनायी है...
देखिये जो स्कूल में होता था उसपर हर पल की नजर मम्मी-पापा की होती थी...!!!!
आज मैं नयी दुनिया में जा रही हूँ तो अपने साथ अपनी ये डायरी ले जा रही हूँ...
जिसमें मेरे ससुराल
में मेरे साथ हुई हर बात को मैं लिखूँगी...!!!!
जब भी मायके आऊँगी तो उस डायरी में...
मम्मी-पापा के हस्ताक्षर हर बार करवाऊँगी...!!!!
नयी सोच सुनकर दुल्हन की हर कोई करने लगे बातें....
दूल्हा आगे बढ़कर बोला..सोच तुम्हारी से हूँ मैं सहमत....!!!!
पापा बोले....इस नयी सोच से एक नया आयाम मिलेगा....
तुम हमारी बेटी हो....कही भी रहो तुम्हें हमारा नाम व साथ मिलेगा...!!!!
मम्मी-पापा ने हस्ताक्षर कर वो डायरी बेटी को थमा दी...
डायरी थामे बेटी आत्मविश्वास के साथ नयी दुनिया में चल दी...!!!!