सरहदों पे सर दे गए
सरहदों पे सर दे गए


मुल्क की सरहदों पे जो सर दे गए l
ज़िंदा रहने का हमको हुनर दे गए l
उन शहीदों को कैसे भुलाएं कि जो ,
हिंद की शक्ल में प्यारा घर दे गए l
उनकी कुर्बानियों ने गज़ब कर दिया l
ज़िन्दगी भर को दर्दे-जिगर दे गए l
हम तो जाते हैं अहले-वतन खुश रहो ,
मरते-मरते सभी को खबर दे गए l
सर्द रातों में ख़ूं को जमाते रहे ,
हमको रौशन सुहानी सहर दे गए l
है सलामत शहीदों से मेरा वतन ,
दीप’की रोशनी दर- बदर दे गए l