सर्व धर्म सम भाव
सर्व धर्म सम भाव
सर्व धर्म समभाव हो, सबका हो सम्मान।
सबके दिल में है बसा, प्रेम सिंधु भगवान।।
ईश्वर अल्ला यीशु है, गुरुनानक उपदेश।
एक धर्म मानव चलो, एक राग हो भेष।।
मानवता की राह पर, चलना सबको साथ।
मानव हैं पकड़े रहो, एक दूजे का हाथ।।
मानवता वो धर्म है, इससे बड़ा न धर्म।
सत्य राह पर बढ़ चलो, करते मानव कर्म।।
जात-पात पर मत लड़ो, भाई-भाई जान।
प्रेम-भाव मन में बसे, मानव को पहचान।।